अथर्ववेद्: इसमें ब्रह्म ज्ञान, औषधि प्रयोग, रोग निवारण, जन्त्र-तन्त्र टोना-टोटका आदि का वर्णन है। बौद्ध ग्रन्थों; सुत्त पिटक, विनय पिटक तथा अभिधम्म पिटक; को सामूहिक रूप से ‘त्रिपिटक‘ कहा गया है। त्रिपिटक की भाषा पालि है। मानवशास्त्रियों के अनुसार चार जाति समूहों; प्रोटो-ऑस्ट्रेलॉयड, भूमध्य सागरीय, मंगोलियन एवं अल्पाइन; द्वारा इस https://trevorzdhph.bloggactivo.com/35813470/5-tips-about-भ-रत-म-न-बर-1-प-स-कम-न-व-ल-ऐप-क-न-स-ह-you-can-use-today